Dumping Ground @ Dundahera, Ghaziabad

गाजियाबाद, वरिष्ठ संवाददाता : महानगर में रोजाना शहर की विभिन्न कालोनियों से औसतन 500 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। नगर निगम की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह उसका कहां निस्तारण करे। जीडीए द्वारा डूंडाहेड़ा में ही डंपिंग ग्राउंड बनाने की सहमति दिए जाने के बाद भी विवाद का हल नहीं हो पा रहा है। अब विवाद जीडीए द्वारा डूंडाहेड़ा के डंपिंग ग्राउंड के स्थल के भू उपयोग को लेकर है। नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि महायोजना 2021 में डंपिंग ग्राउंड से भू उपयोग आवासीय में तब्दील जीडीए द्वारा किया गया है। वहीं भू उपयोग पुन: परिवर्तित करे। निगम के अधिकारी डंपिंग ग्राउंड के मुद्दे पर फिर से प्राधिकरण को घेरने में जुट गए हैं।

कुछ समय से हिंडन नदी से लगे साई उपवन एवं महानगर की प्रमुख सड़कों के किनारे शहर भर से निकलने वाले कचरे को डाले जाने के चलते निगम को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। विरोध के बीच निगम यह तय नहीं कर पा रहा है कि वह शहर भर से निकलने वाले कचरे का आखिर किस जगह निस्तारण करे। महानगर के अधिकांश इलाकों में प्राधिकरण द्वारा आवासीय कालोनी विकसित कर दीं। इसके अलावा शहर की सीमा से लगे हिस्से में निजी बिल्डरों को निजी टाउन शिप बसाने की मंजूरी दे दी गई। अधिकांश क्षेत्रों में कालोनियां विकसित करते वक्त उनमें कालोनियों से निकलने वाले कचरे के निस्तारण के लिए स्थल ही तय नहीं किए गए।

अपर नगर आयुक्त डा.एचएस सहारिया बताते हैं कि सिर्फ डूंडाहेड़ा में अधिक आवश्यकता की स्थिति में डंपिंग ग्राउंड बनाने की सहमति से जुड़ा पत्र देने से काम चलने वाला नहीं है। प्राधिकरण को चाहिए कि वह अपने स्तर से भू उपयोग भी तय करे। नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि निगम महायोजना से छेड़छाड़ नहीं चाहता, लेकिन इससे छेड़छाड़ करने वाला जीडीए है। अनेक ऐसे उदाहरण हैं जहां जीडीए द्वारा भू उपयोग से छेड़छाड़ की गई। निगम अधिकारियों ने कहा कि समय आने पर शासन के सामने मामले उठाए जाएंगे।