Ghaziabad

पिछले कुछ सालों में गाजियाबाद में बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तो बेहतर हुआ ही है, मकानों की कमी दूर करने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यहां की जनसंख्या बढ़कर 21 लाख तक पहुंच गई है। ऐसे में हाउसिंग अभियान जोरों पर हैं। इसमें सरकार के अलावा निजी क्षेत्र भी काफी ध्यान दे रहा है। किरणपाल राणा की रिपोर्ट...

गाजियाबाद के इंदिरापुरम, वैशाली और वसुंधरा जैसे इलाके तो अपने विकास के चलते मानो राष्ट्रीय राजधानी का ही हिस्सा हो गए हैं। इन इलाकों में बिजली-पानी की सप्लाई बेहतर करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सड़कों को चौड़ा करके जिलेभर में यातायात सुधारने पर काफी मशक्कत की जा रही है। नए साल में यहां मेट्रो भी दस्तक देगी। इसके बाद यहां रियल एस्टेट के विकास की संभावनाएं और बढ़ जाएंगी। यहां का रियल स्टेट सेक्टर आज कई हजार करोड़ रुपये का हो चुका है। इसकी संभावनाओं को देखते हुए सरकारी विभाग भी लैंड बैंक बनाने में जुटे हुए हैं।

दरअसल, दिल्ली-नोएडा में महंगी प्रॉपर्टी के चलते लोग गाजियाबाद में अपना बसेरा बसाना चाहते हैं। लोगों के इस सपने को पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के विभाग गंभीरता से कार्य कर रहे है। संभावना है कि नए साल में जीडीए और आवास विकास परिषद कई हजार फ्लैट बनाकर आवंटियों को उनकी चाबियां सौंप देंगे। जीडीए राजेंद्र नगर, कोयल एन्कलेव, इंद्रप्रस्थ और बापूधाम मधुबन रेजिडेंशल स्कीम में हजारों फ्लैट बना रहा है। आवास विकास परिषद भी दिल्ली-बुलंदशहर रोड बाईपास योजना में करीब दो हजार नए फ्लैट बना रहा है।

कई लोग फ्लैट के बजाय प्लॉट खरीदकर अपना मकान बनाने में विश्वास करते हैं। ऐसे लोगों को भी सार्वजनिक क्षेत्र निराश नहीं कर रहा है। जीडीए अपनी बापूधाम-मधूबन स्कीम में प्लॉटों का आवंटन कर रहा है। हाउसिंग सेक्टर में निजी क्षेत्र भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

दूसरी ओर, भविष्य में जमीन के महंगे होने की आशंका के चलते सरकारी विभाग लैंड बैंक बनाने में भी जुट गए हैं। जीडीए ने बापूधाम- मधुबन रेजिडेंशल स्कीम के लिए करीब 1200 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है, तो आवास विकास परिषद करीब 2900 एकड़ जमीन का लैंड बैंक बनाने में जुटा है। जीडीए ने रईसपुर और हरसांव गांव की 155, सिहानी, नूर नगर आदि पांच गांवों की 700, दुहाई गांव के आसपास की करीब 400 और मोदीनगर में 200 एकड़ जमीन का भी अधिग्रहण किया है।

गाजियाबाद की एक और जगह लोगों का ध्यान खींच रही है, राजनगर एक्सटेंशन। दिल्ली-माना राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच 58) पर करीब 16 बिल्डर्स गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर इस इलाके को तैयार कर रहे हैं। गाजियाबाद में उभरते हुए प्रमुख इलाकों में क्रॉसिंग रिपब्लिक का नाम भी लिया जा सकता है।

सीवर सिस्टम होगा हाइटेक

सिटी में तेजी से बन रहे मकान और फ्लैट्स के बाद सीवर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर इसका सीधा भार पड़ रहा है। ओवरफ्लो की समस्या से निपटने के लिए शहर में नौ और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट्स लगाए जा रहे हैं। शहर में फिलहाल 110 एमएलडी कपैसिटी के दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट हैं। नए प्रॉजेक्ट पर जीडीए करीब 250 करोड़ रुपये खर्च करेगा। यह प्रॉजेक्ट अगले एक-दो सालों में तैयार होगा।

पर्यावरण का ध्यान

सिटी में ऊंची-ऊंची बिल्डिंग्स हैं। डर लगता है कि गाजियाबाद कहीं कंक्रीट का जंगल ही न रह जाए। ऐसा है नहीं। यहां पर्यावरण संतुलन के लिए भी कार्य हो रहे हैं। इंदिरापुरम में स्वर्णजयंती पार्क 20 एकड़ में फैला है। ऐसे कई 6-7 पार्क और हैं। इस प्लानिंग के तहत ही हिंडन घाटों का भी नया डिजाइन तैयार किया गया है।

पानी की सप्लाई

गाजियाबाद में पानी वॉटर सप्लाई इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए करीब 250 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। 169 करोड़ रुपये की लागत से प्रताप विहार में गंगा वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। इससे गाजियाबाद के अलावा नोएडा में भी वॉटर सप्लाई की समस्या दूर होगी।

बिजली नहीं होगी गुल

बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए कई सौ करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। करीब पांच सौ करोड़ रुपये के नए सब स्टेशन लगाने के प्रॉजेक्ट पर कार्य चल रहा है।

मेट्रो की दस्तक

नए साल में शहर में मेट्रो भी पहुंच सकती है। फिलहाल आनंद विहार वाली लाइन को वैशाली तक बढ़ाने की योजना है। हाल ही में दिलशाद गार्डन वाली लाइन को आगे नए बस अड्डे तक पहुंचाने की कोशिशें भी तेज हो गई हैं। जाहिर है, इसके बाद यहां का रियल एस्टेट और तरक्की करेगा। हाल ही में मेट्रो के आनंद विहार स्टेशन तक पहुंचने और सितंबर में वैशाली पहुंचने के बाद कौशांबी, वैशाली, वसुंधरा और इंदिरापुरम की प्रॉपर्टी की कीमतों में और उछाल आ सकता

Source: Navbharatimes